कोरी दिक्चालन सूची
कोरी जाति: कोरी एक अनुसूचित जाति है जिनको कोली, बुनकर तथा जुलाहा के नाम से भी जाना जाता है। यें उत्तर भारत के सभी जनपदों में निवास करतें है। इनके पूर्वज खेती, कपडा बुनाई इत्यादि कार्य करते थे। वर्तमान में येें सभी राज्यो में सरकारी व गैर सरकारी कार्यालयों में कर्मचारी व अधिकारी पदों पर कार्यरत है और राजनीति में भी इस जाति का काफी अच्छा योगदान है। यें प्रायः सिंह, वर्मा एवं कोरी उपनामो द्वारा पहचाने जाते है।
महाराष्ट्र में भी इस जाति की काफी जनसंख्या है। गुजरात में 20 से 22 प्रतिशत जनसँख्या कोरी (कोली) जाति की है। कोली, कोरी और कोल को अलग-अलग नाम और व्यवसाय दिए गए। उन्हें अलग-अलग जाति कहा गया। समय के साथ अलग-२ स्थानों पर इसे अलग-२ नामों से इंगित किया गया है जैसे- कोरी, कोली,कोळी, बुनकर, हिन्दू जुलाहा, कबीर पंथी, भुइयार, तंतवाय आदि। महाराष्ट्र मे यह जाती कोळी महादेव,टोकरे कोळी आदिवासी नाम से जानी जाती हैं! और इनको यहा अनुसूचित जनजाती मे शामिल किया गया हैं! प्राचीनतम राजा मन्धाता, एक सर्वोपरि और सार्वभौमिक राजा थे जिनका प्रताप भारत में सर्वत्र था और जिनके शौर्य और यज्ञों की कथाएँ मोहन जोदड़ो के शिलालेखों पर अंकित हैं, वे इसी जाति के थे। सन् 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में इसी जाति की एक वीर क्षत्रिय झलकारी बाई ने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के प्राण बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी जोकि उनकी बहुत करीबी साथी थी। कोरी समाज ने देश और दुनिया को कईं महान बेटे व बेटियाँ दी हैं जिनकी शिक्षाओं का सार्वभौमिक महत्व और प्रासंगिकता आज आधुनिक जीवन में भी है। इस जाति लोग बहुत शांत स्वभाव के एवं बहुत शालीन होतें है जिनके द्वारा कभी भी कोई हिंसा या दंगा सुनने में नही आया। उत्तर प्रदेश में कोरी जाति की जनसंख्या जनगणना 2011 के अनुसार 2,293,937 है।
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