सौर ऊर्जा अनुक्रम विशेषताएँ उपयोग कमियां विश्व के विभिन्न देशों में सौर ऊर्जा का विकास एवं वर्तमान स्थिति इन्हें भी देखें बाहरी कड़ियाँ दिक्चालन सूचीसौर ऊर्जा से संबन्धित विविध सामग्री (हिन्दी में)सौर ऊर्जा का सबसे बड़ा बाजार बनता भारतसौर उर्जासौर वायु तापन परियोजना विश्लेषणकुदरत की बेजोड़ सौगात - सौर उर्जा Energy transitions past and future, Encyclopedia of EarthEnergy Education a2z from the Energy Education FoundationFind solar/calculatorBuild It Solar, The Renewable Energy site for Do-It-Yourselfersएशिया का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा पार्क गुजरात मेंगुजरात में एशिया का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा पार्क देगा 605 मेगावाट बिजली, शेष भारत केवल 200 मेगावाट15578911,00.html भारत का सबसे बड़ा सौर उर्जा बिजली घरसौर ऊर्जा से लैस होंगे भारत के दर्जन भर शहरक्या सौर ऊर्जा परमाणु बिजली से बेहतर है?
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सौर ऊर्जा वह उर्जा है जो सीधे सूर्य से प्राप्त की जाती है। सौर ऊर्जा ही मौसम एवं जलवायु का परिवर्तन करती है। यहीं धरती पर सभी प्रकार के जीवन (पेड़-पौधे और जीव-जन्तु) का सहारा है।
वैसे तो सौर उर्जा के विविध प्रकार से प्रयोग किया जाता है, किन्तु सूर्य की उर्जा को विद्युत उर्जा में बदलने को ही मुख्य रूप से सौर उर्जा के रूप में जाना जाता है। सूर्य की उर्जा को दो प्रकार से विदुत उर्जा में बदला जा सकता है। पहला प्रकाश-विद्युत सेल की सहायता से और दूसरा किसी तरल पदार्थ को सूर्य की उष्मा से गर्म करने के बाद इससे विद्युत जनित्र चलाकर।सौर उर्जा सबसे अच्छा उर्जा है।यह भविष्य में उपयोग करने वाली उर्जा है।
अनुक्रम
1 विशेषताएँ
2 उपयोग
3 कमियां
4 विश्व के विभिन्न देशों में सौर ऊर्जा का विकास एवं वर्तमान स्थिति
5 इन्हें भी देखें
6 बाहरी कड़ियाँ
विशेषताएँ
सौर ऊर्जा : सूर्य एक दिव्य शक्ति स्रोतशान्त व पर्यावरण सुहृद प्रकृति के कारण नवीकरणीय सौर ऊर्जा को लोगों ने अपनी संस्कृति व जीवन यापन के तरीके के समरूप पाया है। विज्ञान व संस्कृति के एकीकरण तथा संस्कृति व प्रौद्योगिकी के उपस्करों के प्रयोग द्वारा सौर ऊर्जा भविष्य के लिए अक्षय ऊर्जा का स्रोत साबित होने वाली है।
सूर्य से सीधे प्राप्त होने वाली ऊर्जा में कई खास विशेषताएं हैं। जो इस स्रोत को आकर्षक बनाती हैं। इनमें इसका अत्यधिक विस्तारित होना, अप्रदूषणकारी होना व अक्षुण होना प्रमुख हैं। सम्पूर्ण भारतीय भूभाग पर ५००० लाख करोड़ किलोवाट घंटा प्रति वर्ग मी० के बराबर सौर ऊर्जा आती है जो कि विश्व की संपूर्ण विद्युत खपत से कई गुने अधिक है। साफ धूप वाले (बिना धुंध व बादल के) दिनों में प्रतिदिन का औसत सौर-ऊर्जा का सम्पात ४ से ७ किलोवाट घंटा प्रति वर्ग मीटर तक होता है। देश में वर्ष में लगभग २५० से ३०० दिन ऐसे होते हैं जब सूर्य की रोशनी पूरे दिन भर उपलब्ध रहती है।
उपयोग
सौर ऊर्जा, जो रोशनी व उष्मा दोनों रूपों में प्राप्त होती है, का उपयोग कई प्रकार से हो सकता है। सौर उष्मा का उपयोग अनाज को सुखाने, जल उष्मन, खाना पकाने, प्रशीतन, जल परिष्करण तथा विद्युत ऊर्जा उत्पादन हेतु किया जा सकता है।
फोटो वोल्टायिक प्रणाली द्वारा सूर्य के प्रकाश को विद्युत में रूपान्तरित करके प्रकाश प्राप्त की जा सकती है, प्रशीलन का कार्य किया जा सकता है, दूरभाष, टेलीविजन, रेडियो आदि चलाए जा सकते हैं, तथा पंखे व जल-पम्प आदि भी चलाए जा सकते हैं।
जल का उष्मन
सौर-उष्मा पर आधारित प्रौद्योगिकी का उपयोग घरेलू, व्यापारिक व औद्योगिक इस्तेमाल के लिए जल को गरम करने में किया जा सकता है। देश में पिछले दो दशकों से सौर जल-उष्मक बनाए जा रहे हैं। लगभग ४,५०,००० वर्गमीटर से अधिक क्षेत्रफल के सौर जल उष्मा संग्राहक संस्थापित किए जा चुके हैं जो प्रतिदिन २२० लाख लीटर जल को ६०-७०° से० तक गरम करते हैं। भारत सरकार का अपारम्परिक ऊर्जा स्रोत मंत्रालय इस ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहन देने हेतु प्रौद्योगिकी विकास, प्रमाणन, आर्थिक एवं वित्तीय प्रोत्साहन, जन-प्रचार आदि कार्यक्रम चला रहा है। इसके फलस्वरूप प्रौद्योगिकी अब लगभग परिपक्वता प्राप्त कर चुकी है तथा इसकी दक्षता और आर्थिक लागत में भी काफी सुधार हुआ है। वृहद् पैमाने पर क्षेत्र-परिक्षणों द्वारा यह साबित हो चुका है कि आवासीय भवनों, रेस्तराओं, होटलों, अस्पतालों व विभिन्न उद्योगों (खाद्य परिष्करण, औषधि, वस्त्र, डिब्बा बन्दी, आदि) के लिए यह एक उचित प्रौद्योगिकी है।
जब हम सौर उष्मक से जल गर्म करते हैं तो इससे उच्च आवश्यकता वाले समय में बिजली की बचत होती है। १०० लीटर क्षमता के १००० घरेलू सौर जल-उष्मकों से एक मेगावाट बिजली की बचत होती है। साथ ही १०० लीटर की क्षमता के एक सौर उष्मक से कार्बन डाई आक्साइड के उत्सर्जन में प्रतिवर्ष १.५ टन की कमी होगी। इन संयंत्रों का जीवन-काल लगभग १५-२० वर्ष का है।
सौर-पाचक (सोलर कुकर)
सौर उष्मा द्वारा खाना पकाने से विभिन्न प्रकार के परम्परागत ईंधनों की बचत होती है। बाक्स पाचक, वाष्प-पाचक व उष्मा भंडारक प्रकार के एवं भोजन पाचक, सामुदायिक पाचक आदि प्रकार के सौर-पाचक विकसित किए जा चुके हैं। ऐसे भी बाक्स पाचक विकसित किए गये हैं जो बरसात या धुंध के दिनों में बिजली से खाना पकाने हेतु प्रयोग किए जा सकते हैं। अबतक लगभग ४,६०,००० सौर-पाचक बिक्री किए जा चुके हैं।
सौर वायु उष्मन
सूरज की गर्मी के प्रयोग द्वारा कटाई के पश्चात कृषि उत्पादों व अन्य पदार्थों को सुखाने के लिए उपकरण विकसित किए गये हैं। इन पद्धतियों के प्रयोग द्वारा खुले में अनाजों व अन्य उत्पादों को सुखाते समय होने वाले नुकसान कम किए जा सकते हैं। चाय पत्तियों, लकड़ी, मसाले आदि को सुखाने में इनका व्यापक प्रयोग किया जा रहा है।
सौर स्थापत्य
किसी भी आवासीय व व्यापारिक भवन के लिए यह आवश्यक है कि उसमें निवास करने वाले व्यक्तियों के लिए वह सुखकर हो। ``सौर-स्थापत्य वस्तुत: जलवायु के साथ सामन्जस्य रखने वाला स्थापत्य है। भवन के अन्तर्गत बहुत सी अभिनव विशिष्टताओं को समाहित कर जाड़े व गर्मी दोनों ऋतुओं में जलवायु के प्रभाव को कम किया जा सकता है। इसके चलते परम्परागत ऊर्जा (बिजली व ईंधन) की बचत की जा सकती है।
आदित्य सौर कार्यशालाएँ
भारत सरकार के अपारम्परिक ऊर्जा स्रोत मंत्रालय के सहयोग से देश के विभिन्न भागों में ``आदित्य सौर कार्यशालाएँ स्थापित की जा रही हैं नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणों की बिक्री, रखरखाव, मरम्मत एवं तत्सम्बन्धी सूचना का प्रचार-प्रसार इनका मुख्य कार्य होगा। सरकार इस हेतु एकमुश्त धन और दो वर्षों तक कुछ आवर्ती राशि उपलब्ध कराती है। यह अपेक्षा रखी गयी है कि ये कार्यशालाएँ ग्राहक-सुहृद रूप से कार्य करेंगी एवं अपने लिए धन स्वयं जुटाएंगी।
सौर फोटो वोल्टायिक कार्यक्रम
सौर फोटो वोल्टायिक तरीके से ऊर्जा, प्राप्त करने के लिए सूर्य की रोशनी को सेमीकन्डक्टर की बनी सोलार सेल पर डाल कर बिजली पैदा की जाती है। इस प्रणाली में सूर्य की रोशनी से सीधे बिजली प्राप्त कर कई प्रकार के कार्य सम्पादित किये जा सकते हैं।
भारत उन अग्रणी देशों में से एक है जहाँ फोटो वोल्टायिक प्रणाली प्रौद्योगिकी का समुचित विकास किया गया है एवं इस प्रौद्योगिकी पर आधारित विद्युत उत्पादक इकाईयों द्वारा अनेक प्रकार के कार्य सम्पन्न किये जा रहे हैं। देश में नौ कम्पनियों द्वारा सौर सेलों का निर्माण किया जा रहा है एवं बाइस द्वारा फोटोवोल्टायिक माड्यूलों का। लगभग ५० कम्पनियां फोटो वोल्टायिक प्रणालियों के अभिकल्पन, समन्वयन व आपूर्ति के कार्यक्रमों से सक्रिय रूप से जुड़ी हुयी हैं। सन् १९९६-९९ के दौरान देश में ९.५ मेगावाट के फोटो वोल्टायिक माड्यूल निर्मित किए गये। अबतक लगभग ६००००० व्यक्तिगत फोटोवोल्टायिक प्रणालियां (कुल क्षमता ४० मेगावाट) संस्थापित की जा चुकी हैं। भारत सरकार का अपारम्परिक ऊर्जा स्रोत मंत्रालय सौर लालटेन, सौर-गृह, सौर सार्वजनिक प्रकाश प्रणाली, जल-पम्प, एवं ग्रामीण क्षेत्रों के लिए एकल फोटोवोल्टायिक ऊर्जा संयंत्रों के विकास, संस्थापना आदि को प्रोत्साहित कर रहा है।
फोटो वोल्टायिक प्रणाली माड्यूलर प्रकार की होती है। इनमें किसी प्रकार के जीवाष्म उर्जा की खपत नहीं होती है तथा इनका रख रखाव व परिचालन सुगम है। साथ ही ये पर्यावरण सुहृद हैं। दूरस्थ स्थानों, रेगिस्तानी इलाकों, पहाड़ी क्षेत्रों, द्वीपों, जंगली इलाकों आदि, जहाँ प्रचलित ग्रिड प्रणाली द्वारा बिजली आसानी से नहीं पहुँच सकती है, के लिए यह प्रणाली आदर्श है। अतएव फोटो वोल्टायिक प्रणाली दूरस्थ दुर्गम स्थानों की दशा सुधारने में अत्यन्त उपयोगी है।
सौर लालटेन
सौर लालटेन एक हल्का ढोया जा सकने वाली फोटो वोल्टायिक तंत्र है। इसके अन्तर्गत लालटेन, रख रखाव रहित बैटरी, इलेक्ट्रानिक नियंत्रक प्रणाली, व ७ वाट का छोटा फ्लुओरेसेन्ट लैम्प युक्त माड्यूल तथा एक १० वाट का फोटो वोल्टायिक माड्यूल आता है। यह घर के अन्दर व घर के बाहर प्रतिदिन ३ से ४ घंटे तक प्रकाश दे सकने में सक्षम है। किरासिन आधारित लालटेन, ढ़िबरी, पेट्रोमैक्स आदि का यह एक आदर्श विकल्प है। इनकी तरह न तो इससे धुआँ निकलता है, न आग लगने का खतरा है और न स्वास्थ्य का। अबतक लगभग २,५०,००० के उपर सौर लालटेने देश के ग्रामीण इलाकों में कार्यरत हैं।
सौर जल-पम्प
फोटो वोल्टायिक प्रणाली द्वारा पीने व सिंचाई के लिए कुओं आदि से जल का पम्प किया जाना भारत के लिए एक अत्यन्त उपयोगी प्रणाली है। सामान्य जल पम्प प्रणाली में ९०० वाट का फोटो वाल्टायिक माड्यूल, एक मोटर युक्त पम्प एवं अन्य आवश्यक उपकरण होते हैं। अबतक ४,५०० से उपर सौर जल पम्प संस्थापित किये जा चुके हैं।
ग्रामीण विद्युतीकरण (एकल बिजली घर)
फोटोवोल्टायिक सेलों पर आधारित इन बिजली घरों से ग्रिड स्तर की बिजली ग्रामवासियों को प्रदान की जा सकती है। इन बिजली घरों में अनेकों सौर सेलों के समूह, स्टोरेज बैटरी एवं अन्य आवश्यक नियंत्रक उपकरण होते हैं। बिजली को घरों में वितरित करने के लिए स्थानीय सौर ग्रिड की आवश्यकता होती है। इन संयंत्रों से ग्रिड स्तर की बिजली व्यक्तिगत आवासों, सामुदायिक भवनों व व्यापारिक केन्द्रों को प्रदान की जा सकती है। इनकी क्षमता १.२५ किलोवाट तक होती है। अबतक लगभग एक मेगावाट की कुल क्षमता के ऐसे संयंत्र देश के विभिन्न हिस्सों में लगाए जा चुके हैं। इनमें उत्तर प्रदेश, देश का उत्तर पूर्वी क्षेत्र, लक्षद्वीप, बंगाल का सागर द्वीप, व अन्डमान निकोबार द्वीप समूह प्रमुख हैं।
सार्वजनिक सौर प्रकाश प्रणाली
ग्रामीण इलाकों में सार्वजनिक स्थानों एवं गलियों, सड़कों आदि पर प्रकाश करने के लिए ये उत्तम प्रकाश स्रोत है। इसमें ७४ वाट का एक फोटो वोल्टायिक माड्यूल, एक ७५ अम्पीयर-घंटा की कम रख-रखाव वाली बैटरी तथा ११ वाट का एक फ्लुओरेसेन्ट लैम्प होता है। शाम होते ही यह अपने आप जल जाता है और प्रात:काल बुझ जाता है। देश के विभिन्न भागों में अबतक ४०,००० से अधिक इकाईयां लगायी जा चुकी है।
घरेलू सौर प्रणाली
घरेलू सौर प्रणाली के अन्तर्गत २ से ४ बल्ब (या ट्यूब लाइट) जलाए जा सकते हैं, साथ ही इससे छोटा डीसी पंखा और एक छोटा टेलीविजन २ से ३ घंटे तक चलाए जा सकते हैं। इस प्रणाली में ३७ वाट का फोटो वोल्टायिक पैनेल व ४० अंपियर-घंटा की अल्प रख-रखाव वाली बैटरी होती है। ग्रामीण उपयोग के लिए इस प्रकार की बिजली का स्रोत ग्रिड स्तर की बिजली के मुकाबले काफी अच्छा है। अबतक पहाड़ी, जंगली व रेगिस्तानी इलाकों के लगभग १,००,००० घरों में यह प्रणाली लगायी जा चुकी है।
कमियां
सौर ऊर्जा की कई परेशानियां भी होती हैं। व्यापक पैमाने पर बिजली निर्माण के लिए पैनलों पर भारी निवेश करना पड़ता है। दूसरा, दुनिया में अनेक स्थानों पर सूर्य की रोशनी कम आती है, इसलिए वहां सोलर पैनल कारगर नहीं हैं। तीसरा, सोलर पैनल बरसात के मौसम में ज्यादा बिजली नहीं बना पाते। फिर भी विशेषज्ञों का मत है कि भविष्य में सौर ऊर्जा का अधिकाधिक प्रयोग होगा। भारत के प्रधानमंत्री ने हाल में सिलिकॉन वैली की तरह भारत में सोलर वैली बनाने की इच्छा जताई है।
विश्व के विभिन्न देशों में सौर ऊर्जा का विकास एवं वर्तमान स्थिति
निम्नलिखित सारणी में विभिन्न देशों में लगे प्रकाश-विद्युत सेल की क्षमता (मेगावाट) में दी गयी है-
क्षेत्र | 2006 | 2007 | 2008 | 2009 | 2010 | 2011 | 2012 | 2013 | वृद्धि 2013/2012 | हिस्सेदारी |
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
Niemcy | 2899 | 4170 | 6120 | 9914 | 17 320 | 25 039 | 32 643 | 35 500 | 8,8% | 26,0% |
चीन | 80 | 100 | 140 | 300 | 800 | 3300 | 8300 | 18 300 | 120,5% | 13,4% |
Włochy | 50 | 120 | 458 | 1181 | 3502 | 12 803 | 16 241 | 17 600 | 8,4% | 12,9% |
जापान | 1709 | 1919 | 2144 | 2627 | 3618 | 4914 | 6914 | 13 600 | 96,7% | 9,9% |
यूएसए | 624 | 831 | 1169 | 1616 | 2534 | 3966 | 7312 | 12 000 | 64,1% | 8,8% |
Hiszpania | 148 | 705 | 3463 | 3523 | 3915 | 4260 | 4532 | 5566 | 22,8% | 4,1% |
फ्रांस | 44 | 75 | 180 | 335 | 1054 | 2660 | 3692 | 4632 | 25,5% | 3,4% |
आस्ट्रेलिया | 70 | 83 | 105 | 188 | 571 | 1408 | 2408 | 3255 | 35,2% | 2,4% |
Belgia | 4 | 27 | 108 | 627 | 1044 | 2051 | 2650 | 2983 | 12,6% | 2,2% |
Wielka Brytania | 14 | 18 | 23 | 26 | 70 | 976 | 1655 | 2900 | 75,2% | 2,1% |
यूनान | 7 | 8 | 18 | 55 | 205 | 624 | 1536 | 2579 | 67,9% | 1,9% |
भारत | 30 | 31 | 71 | 101 | 161 | 481 | 1176 | 2319 | 97,2% | 1,7% |
Czechy | 1 | 3 | 64 | 462 | 1952 | 1959 | 2072 | 2162 | 4,3% | 1,6% |
Korea Południowa | 36 | 81 | 358 | 524 | 656 | 812 | 1064 | 1476 | 38,7% | 1,1% |
कनाडा | 21 | 26 | 33 | 95 | 291 | 559 | 827 | 1210 | 46,3% | 0,9% |
बुल्गारिया | 0 | 0 | 1 | 7 | 35 | 141 | 908 | 1020 | 12,3% | 0,7% |
Szwajcaria | 30 | 36 | 48 | 74 | 111 | 211 | 410 | 740 | 80,5% | 0,5% |
हॉलैण्ड | 52 | 53 | 57 | 68 | 88 | 131 | 256 | 650 | 153,9% | 0,5% |
यूक्रेन | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 140 | 326 | 616 | 89,0% | 0,5% |
ऑस्ट्रिया | 26 | 28 | 32 | 53 | 96 | 187 | 422 | 580 | 37,4% | 0,4% |
Dania | 3 | 3 | 3 | 5 | 7 | 17 | 392 | 532 | 35,7% | 0,4% |
Słowacja | 0 | 0 | 0 | 0 | 148 | 508 | 523 | 524 | 0,2% | 0,4% |
इस्रायल | 1 | 2 | 3 | 25 | 70 | 190 | 250 | 420 | 68,0% | 0,3% |
पुर्तगाल | 3 | 18 | 68 | 102 | 131 | 144 | 212 | 284 | 34,0% | 0,2% |
Meksyk | 20 | 21 | 22 | 25 | 31 | 37 | 52 | 100 | 92,3% | 0,1% |
Malezja | 6 | 7 | 9 | 11 | 13 | 14 | 36 | 73 | 102,8% | 0,1% |
Szwecja | 5 | 6 | 8 | 9 | 11 | 16 | 24 | 43 | 79,2% | 0,0% |
तुर्की | 3 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 9 | 15 | 66,7% | 0,0% |
नार्वे | 8 | 8 | 8 | 9 | 9 | 10 | 10 | 11 | 10,0% | 0,0% |
फिनलैण्ड | 4 | 4 | 4 | 5 | 7 | 8 | 8 | 8 | 0,0% | 0,0% |
विश्व | 6967 | 9564 | 15 981 | 23 299 | 40 030 | 69 871 | 100 115 | 136 697 | 36.5% | 100,0% |
इन्हें भी देखें
- नवीकरणीय ऊर्जा
- पर्यावरण
- सौर शक्ति
- सौर सेल
- सौर विकिरण
- भारत में सौर ऊर्जा
- इंटरनेशनल एजेंसी फॉर सोलर टेक्नोलॉजीज़ एंड एप्लीकेशन्स
बाहरी कड़ियाँ
- सौर ऊर्जा से संबन्धित विविध सामग्री (हिन्दी में)
- सौर ऊर्जा का सबसे बड़ा बाजार बनता भारत
सौर उर्जा (हिन्दी ब्लॉग)- सौर वायु तापन परियोजना विश्लेषण
- कुदरत की बेजोड़ सौगात - सौर उर्जा
- Energy transitions past and future, Encyclopedia of Earth
- Energy Education a2z from the Energy Education Foundation
Find solar/calculator (US DOE/ASES/SEPA)- Build It Solar, The Renewable Energy site for Do-It-Yourselfers
- एशिया का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा पार्क गुजरात में
गुजरात में एशिया का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा पार्क देगा 605 मेगावाट बिजली, शेष भारत केवल 200 मेगावाट (IBTL)- 15578911,00.html भारत का सबसे बड़ा सौर उर्जा बिजली घर
सौर ऊर्जा से लैस होंगे भारत के दर्जन भर शहर (जनोक्ति)
क्या सौर ऊर्जा परमाणु बिजली से बेहतर है? ( 25 जनवरी 2015)
-अक्षय उर्जा, ऊर्जा, ऊर्जा संरक्षण, पर्यावरण, सूर्य, सौर ऊर्जा